Teja Dashmi 2023 Main Kab Hai जानिये क्यो मनाई जाती है

तेजा दशमी (Teja Dashmi) भारतीय हिन्दू पर्व है, जो विशेष रूप से राजस्थान राज्य और पुरे देस मैं में मनाया जाता है। यह पर्व शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है कहानी के अनुसार वीर तेजाजी की 1 मुहँबोली बहन थी लाछां गूजरी। एक बार जब वो अपनी मुहँबोली बहन लाछां गूजरी से मिलने जा रहे तो उन्हे ज्ञात हुआ की लाछां की गायों को मेर के लोग चुरा कर ले गये हैं। बहन की सहायता करने के लिये और बहन की गायों को वापस लाने के लिये वीर तेजाजी अपने घोड़े पर सवार होकर मेर के लोगों के पीछे पड गये।

उनके मार्ग में भाषक नामक सर्प ने उनका रास्ता रोक लिया। भाषक नाग तेजा जी को काटना चाहता था। वीर तेजाजी ने भाषक सर्प को मार्ग से हटने के लिये कहा, परंतु वो नही माना। उसको मार्ग से हटाने के लिये वीर तेजाजी ने भाषक सर्प को वचन दिया कि, हे नाग देवता! मैं अभी अपनी बहन लाछां की गायों को छुड़ाने के लिये जा रहा हूँ। जब मैं उन गायों को मुक्त करा लूंगा, मैं स्वयं तुम्हारे पास आ जाऊँगा। जब तुम मुझे ड़स लेना। किंतु तुम मुझे अभी जाने दो। तेजाजी द्वारा दिये गये उस वचन को मानकर भाषक नाग ने उनका मार्ग छोड़ दिया।

तेजाजी का मेर के लोगों से भीषण युद्ध हुआ। वीर तेजा जी के सामने उन लोगों की एक ना चली और तेजाजी ने उन सभी को मार कर उन गायों को उनसे आजाद कराया। बहन की गायों को आजाद कराने के बाद नाग देवता को दिये वचन को निभाने के लिये वो भाषक साँप के पास गये। जब तेजाजी भाषक साँप के पास पहुँचे तो वो बुरी तरह से लहूलुहान हो रहे थे। उनके शरीर पर जगह-जगह घाव हो रहे थे, जिनसे रक्त बह रहा था। तब भाषक सर्प ने उनसे कहा, तुम्हारे पूरेे शरीर घाव हो रहे हैं, सभी घावों से रक्त बह रहा हैं। रक्त से भीगा तुम्हारा शरीर तो अपवित्र हो गया है। अब मैं कहाँ ड़सूँ? जब तेजाजी ने उसे अपनी जिव्हा बताई और कहा, कि मेरी जिव्हा अभी तक सकुशल हैं, तुम यहाँ पर ड़स सकते हो।

भाषक सर्प वीर तेजाजी की वचनपरायणता को देखकर बहुत प्रसन्न हो गया। भाषक सर्प उन्हे आशीर्वाद दिया कि अब से जो कोई भी सर्पदोोश से पीड़ित व्यक्ति तुम्हारे नाम का धागा बाँधेगा उस पर जहर का प्रभाव नही होगा। कहकर उस भाषक सर्प ने तेजाजी के घोड़े पर चढ़कर उनकी जिव्हा पर ड़स लिया। उस दिन भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष की दशमी थी। इसलिये तभी से इस दिन तेजा दशमी (Teja Dashmi) मनाई जाती हैं। ऐसी लोक मान्यता है कि सर्पदंश के स्थान पर तेजाजी के नाम का धागा (तांती) बाँधने से सर्पदंश से पीड़ित पशु या मनुष्य पर साँप के विष का प्रभाव नही होता। और वो जल्द ही स्वस्थ हो जाता हैं।

Teja Dashmi Kab Hai ?

इस वर्ष तेजा दशमी (Teja Dashmi) कई स्थानो पर 24 और 25 सितम्बर, 2023 के दिन मनाई जायेगी।

Some Historical Facts Related To Veer Tejaji Dashmi

वीर तेजाजी राजस्थान के ऐतिहासिक और धार्मिक महापुरुषों में से एक हैं, और उनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य हैं:

  1. जन्म और परिवार: वीर तेजाजी का जन्म 1074 आस-पास हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी चौट मल था और माता का नाम सुणदरदेवी था। वे एक राजपूत क्षत्रिय परिवार से आए थे।
  2. धार्मिकता: वीर तेजाजी बचपन से ही धार्मिक और भक्तिपूर्ण थे। वे भगवान कृष्ण के भक्त थे और उनके पूजा-अर्चना में रुचि रखते थे।
  3. संघर्ष: वीर तेजाजी ने अपने बड़े भाई अक्काजी के साथ संघर्ष किया था। इस संघर्ष के बाद, वीर तेजाजी ने अपनी जान की बलिदान दी और अपने धर्म और अपने देवता के प्रति अपनी पूरी समर्पण दिखाई।
  4. वीर तेजाजी की पूजा: वीर तेजाजी को राजस्थान के लोग एक प्रमुख देवता के रूप में मानते हैं। उनकी पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में है, और उनके मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
  5. वीर तेजाजी के मंदिर: वीर तेजाजी के मंदिर राजस्थान में कई स्थलों पर हैं, और वहां उनकी पूजा और आराधना की जाती है। तेजाजी के मंदिर उनके भक्तों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं।
  6. महत्व: वीर तेजाजी को राजस्थान के लोग एक महान धार्मिक और लोकप्रिय देवता के रूप में मानते हैं, और उनके जीवन और बलिदान को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। वीर तेजाजी की कथाएँ और गाथाएँ राजस्थानी साहित्य और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

Teja Dashmi Ki Kahani

वीर तेजाजी की कहानी राजस्थान के एक प्रमुख धार्मिक और लोकप्रिय देवता वीर तेजाजी के जीवन के चरणों को बताती है। वीर तेजाजी का जन्म सन् 1074 ईसा पूर्व के आस-पास हुआ था। उनका जन्मस्थान तोड़टी नांगल, जिला नागौर, राजस्थान में हुआ था।

कहानी:

  1. वीर तेजाजी का जन्म: वीर तेजाजी का जन्म राजपूत क्षत्रिय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी चौट मल है और माता का नाम सुणदरदेवी था।
  2. वीर तेजाजी का बचपन: तेजाजी का बचपन धार्मिकता और ध्यान में ही बीता। वे बचपन से ही भगवान कृष्ण के भक्त थे और उनकी पूजा करते थे।
  3. संघर्ष का आरंभ: वीर तेजाजी ने राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, लेकिन उनके बड़े भाई अक्काजी उनके योग्यता को नकारते थे। इसके परिणामस्वरूप, वीर तेजाजी ने अपने बड़े भाई से संघर्ष करने का निश्चय किया।
  4. वीर तेजाजी का बलिदान: संघर्ष के दौरान, वीर तेजाजी ने अपनी आत्मा की पूरी बलिदान कर दी। वे राजस्थान के लोगों के लिए महान हीरो बन गए और उनका नाम वीर तेजाजी के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
  5. वीर तेजाजी की विशेषता: वीर तेजाजी का विशेष धर्मिक महत्व है। उन्हें राजस्थान के प्रमुख देवता माना जाता है और उनके प्रति लोगों की गहरी भक्ति है।
  6. तेजाजी के उपासक: तेजाजी के उपासक उनकी जयंती पर भव्य पर्वों का आयोजन करते हैं और उनकी कथाओं को सुनते हैं। तेजाजी के मंदिर राजस्थान में विभिन्न स्थलों पर हैं, और वहां विशेष पूजा आयोजित की जाती है।

वीर तेजाजी की कहानी राजस्थानी साहित्य और लोककथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और उनके बलिदान और धर्मिक उपदेश को याद रखने के लिए महत्वपूर्ण है। वे राजस्थान के लोगों के लिए गर्व का स्रोत हैं और उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।


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