Dol Gyaras 2023 क्यों मनाई जाती है क्या है महत्व

“Dol Gyaras” (डोल ग्यारस) एक हिन्दू पर्व है, जो विशेष रूप से पुरे भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश और ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार भादो शुक्ल पक्ष के ग्यारसी तिथि को मनाया जाता है,

डोल ग्यारस का महत्व है क्योंकि इसे भगवान कृष्ण के बाल लीला के साथ जोड़ा जाता है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाते हैं और उनके लीला की कथाएं सुनते हैं।

डोल ग्यारस का पर्व विशेष रूप से युवक-युवतियों और किशोरों के बीच मनाया जाता है। इस दिन लड़के और लड़कियाँ संगीत, नृत्य, और गीतों के साथ बढ़कर खेलते हैं, और वे डोल (स्विंग) पर झूलाते हैं। झाकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं. रात्रि के समय सभी पुरे परिवार के साथ रतजगा कर डोल देखने शहरो में जाते हैं.

इस पर्व के दौरान विभिन्न रंगों के गुलाल (रंग) का उपयोग किया जाता है, और लोग एक दूसरे पर गुलाल फेंकते हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार की मिठाईयाँ और प्रसाद प्रस्तुत किए जाते हैं।

डोल ग्यारस एक खुशियों और उत्सव का मौका है, जिसमें लोग खुशियों के साथ एक-दूसरे के साथ बिताते हैं और भगवान कृष्ण के बचपन की खेलने की यादें ताजगी से जिन्दा रखते हैं।

हिन्दू उपवास में ग्यारस या एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व होता हैं. कहते हैं जीवन का अंत ही सबसे कठिन होता हैं. उसे सुधारने हेतु एकदशी का व्रत किया जाता हैं. उन्ही में से एक हैं डोल ग्यारस.

Dol Gyaras Kab Hai ?

इस वर्ष डोल ग्यारस (Dol Gyaras) काई स्थानो पर 25 और 26 सितम्बर, 2023 के दिन मनाई जायेगी।

Dol Gyaras Mahtva

डोल ग्यारस भगवान कृष्ण के बचपन की मधुर लीला को याद करने और मनाने का महत्वपूर्ण पर्व है और इसका महत्व निम्नलिखित कारणों से है:

  1. भगवान कृष्ण के बचपन की लीला का स्मरण: डोल ग्यारस का पर्व भगवान कृष्ण के बचपन की खुशियों और लीलाओं को याद करने का अवसर प्रदान करता है। डोल ग्यारस के दौरान, लोग भगवान कृष्ण की डोल पर झूलने की खुशियों का आनंद लेते हैं और उनकी लीलाओं को गुणगुणाते हैं।
  2. भक्ति और प्रेम का प्रतीक: इस पर्व के अवसर पर भक्त अपने दिव्य ईश्वर कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम का अभिव्यक्ति करते हैं। डोल ग्यारस के दौरान, भक्तिभावना और प्रेम का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
  3. सांस्कृतिक महत्व: यह पर्व हिन्दू सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
  4. सामाजिक एकता: डोल ग्यारस के दौरान, लोग एक साथ आते हैं, गीत गाते हैं, और खुशियाँ मनाते हैं। इससे सामाजिक एकता और सजीव समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है।
  5. परिवार का महत्व: डोल ग्यारस का पर्व परिवारों के बीच एक साथ आने और समय बिताने का मौका प्रदान करता है। परिवार के सदस्य एक-दूसरे के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं और सजीव गतिविधियों में भाग लेते हैं।

Dol Gyaras के उपलक्ष मे कथा कही जाती हैं

एक दिन, भगवान कृष्ण अपने ब्रज वासियों के साथ बहुत ही खुश और अच्छे स्वास्थ्य में थे। वे अपने दोस्तों और सखियों के साथ खेल रहे थे। डोल ग्यारस के अवसर पर, वे अपनी प्रिय सखियों के साथ एक बड़े हीरो (डोल) पर झूलने का आयोजन करते हैं।

कृष्ण की प्रिय सखी राधा रानी भी उनके साथ थीं, और वे भी डोल पर झूलने के लिए तैयार थीं। डोल पर कृष्ण और राधा रानी का साथ झूलना बहुत ही खास होता है, और यह कृष्ण लीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

डोल पर कृष्ण और राधा रानी के साथ झूलते समय, उनके दोस्त और सखियाँ गीत गाकर उनके साथ झूलने का आनंद लेते हैं। इस लीला के दौरान, भगवान कृष्ण और राधा रानी की भावनाओं का खेल होता है और वे अपने प्रेम में लीन हो जाते हैं।

इस कथा से डोल ग्यारस का महत्वपूर्ण संदेश है कि इस पर्व के माध्यम से लोग भगवान कृष्ण की भक्ति करते हैं और उनके प्रेम की लीला का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, यह दिखाता है कि प्रेम और भक्ति का महत्व हिन्दू धर्म में कितना उच्च है।

Dol Gyaras Vrat Puja Vidhi 

डोल ग्यारस पूजा का आयोजन भगवान कृष्ण की आराधना और उनके बचपन की खुशियों को याद करने के लिए किया जाता है। इस पूजा का आयोजन निम्नलिखित विधि से किया जा सकता है:

सामग्री:

  1. भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र
  2. पूजा के लिए फूल
  3. गुड़ या चीनी
  4. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गुड़)
  5. फल (आपके पसंदीदा फल)
  6. पूजा के विशेष आहार (बन्दर लड्डू, माखन मिश्रित चावल आदि)
  7. धूप बत्ती और दीपक
  8. एक छोटी सी डोल (स्विंग)
  9. दो छोटे पात्र (एक में पानी, दूसरे में गुड़ या चीनी)
  10. पूजा के लिए विशेष कपड़े

पूजा विधि:

  1. पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान चुनें और उसे सफा करें।
  2. भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र को साफ करें और उसके सामने एक छोटी सी डोल (स्विंग) रखें।
  3. मूर्ति को फूलों से सजाएं।
  4. पूजा के लिए अपने पास पंचामृत, फल, और पूजा के विशेष आहार रखें।
  5. धूप बत्ती और दीपक जलाएं।
  6. अब पूजा की शुरुआत करें:
  • पूजा के प्रारंभ में भगवान कृष्ण की आराधना करने के लिए मंत्र जपें या उनका भजन गाएं।
  • पंचामृत का प्रयोग करके मूर्ति की अभिषेक करें।
  • फल, गुड़ या चीनी को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
  1. डोल ग्यारस की पूजा में छोटे से पात्र में पानी और दूसरे पात्र में गुड़ या चीनी रखें। अब स्विंग को पानी के बर्तन से आराम से धोकर सफा करें।
  2. अब स्विंग को मूर्ति के सामने रखें और उसे फूलों से सजाएं।
  3. स्विंग पर भगवान कृष्ण की मूर्ति को ध्यान में लेकर झूलें और उनके बचपन की खुशियों को याद करें।
  4. अखिल अपराध क्षमा करने के लिए भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद की मांग करें।
  5. अखिल व्रती अपने परिवार और दोस्तों के साथ डोल पर झूलें और खुशियाँ मनाएं।
  6. अंत में, प्रसाद को सभी के बीच बाँटें और सबको आशीर्वाद दें।

इस तरह, आप डोल ग्यारस पूजा को आयोजित कर सकते हैं और भगवान कृष्ण की आराधना करके उनके बचपन की खुशियों का आनंद ले सकते हैं। यह पूजा भगवान के प्रति भक्ति, प्रेम, और समर्पण का प्रतीक होती है।


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