Sharad Purnima Kab Hai 2023 Mein जानिये Date & Time

शरद पूर्णिमा एक हिन्दू पर्व है जो अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो कि आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है। इस पर्व को शरद ऋतु में मनाने का अर्थ होता है, और यह पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा के चमकने के साथ मनाया जाता है।

शरद पूर्णिमा का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत ऊंचा है। इसे शरदिया नवरात्रि के अंत में मनाने का अवसर माना जाता है। इस दिन लोग व्रत रखकर और विशेष प्रकार के पूजा-अर्चना के साथ भगवान दुर्गा की पूजा करते हैं। यह एक विशेष दिन माना जाता है जब मां दुर्गा अपने भक्तों के बीच आती हैं और उनके मांगों को पूरा करती हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन लोग रात्रि भर जागकर व्रत करते हैं और मां दुर्गा का पूजन करते हैं। इस दिन खास तरीके से चांद्रमा का दर्शन करने का महत्व होता है, इसे काने के अपने मनोबल से किया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन लोग खिचड़ी और कद्दू की सब्जी बनाकर प्रसाद के रूप में खाते हैं।

इस पर्व का महत्व भारतीय साहित्य और कला में भी बड़ा है, और इसे लोक कला और विभिन्न राज्यों में महोत्सव के रूप में आयोजित किया जाता है।

इस पर्व को मनाने से लोग आपसी समरसता, आत्मा की शुद्धि, और धार्मिकता की दिशा में अग्रसर होने का प्रयास करते हैं। यह एक मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक संगठन का महत्वपूर्ण मौका होता है जिसमें लोग अपने जीवन को धार्मिकता के साथ जीने का संकल्प लेते हैं।

Sharad Purnima Kab Hai ?

इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को रहयेगी. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं

Sharad Purnima 2023 Date and Time

हिंदू पंचाग के अनुसार, 28 अक्टूबर को 4:17 AM पर पूर्णिमा तिथि लगेगी, जो कि 29 अक्टूबर की मध्यरात्रि 1:58 AM पर तक रहेगी. इस लिहाज से 28 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा.

Sharad Purnima Vrat Katha

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण थे। उनका एक सुंदर सा पुत्र था जिसका नाम गोपाल था। गोपाल एक बड़ा धार्मिक और भगवान के भक्त था। वह हमेशा भगवान की पूजा और दान करता था और गरीबों की सेवा में अपना समय बिताता था।

एक बार शरद पूर्णिमा के दिन, गोपाल अपने पिता के साथ गंगा नदी में स्नान करने गए। वहां वे देखते हैं कि लोग अपने सिर पर चांदन लगा कर बैठे हुए हैं और चंद्रमा की किरणों को अपने सिर पर छाता बनाते हैं।

गोपाल ने अपने पिता से पूछा, “पिताजी, यह लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं?” पिता ने उन्हें बताया कि इस दिन शरद पूर्णिमा को चंद्रमा अपने सबसे सुंदर रूप में होता है, और लोग उसकी किरणों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस तरह का व्रत करते हैं।

गोपाल ने तय किया कि वह भी इस व्रत को मानेंगे और चंदन का तिलक अपने सिर पर लगाकर चंद्रमा की किरणों का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

इस तरह, गोपाल ने शरद पूर्णिमा के दिन व्रत किया और भगवान का ध्यान किया। उसका मन पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से भरा था। चंद्रमा के बेहद सुंदर रूप के साथ, वह दिन गोपाल के जीवन का सबसे खास और धार्मिक दिन था।

इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करके और भगवान की पूजा करके हम आत्मा की शुद्धि कर सकते हैं और दिव्य आनंद का अनुभव कर सकते हैं।

Sharad Purnima Ka Mahtva

  1. भगवान कृष्ण का आगमन: शरद पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण के आगमन का अवसर माना जाता है। इस दिन क्रिष्ण रास लीला में गोपियों के साथ रास रचाते हैं और अपना दिव्य सौन्दर्य प्रकट करते हैं।
  2. मां दुर्गा की पूजा: शरद पूर्णिमा का दिन मां दुर्गा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसे शरदिया नवरात्रि के अंत में मनाने का अवसर माना जाता है, और मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए इस पूजा का आयोजन किया जाता है।
  3. व्रत और दान का महत्व: इस दिन लोग व्रत रखते हैं और दान करते हैं। यह एक धार्मिकता और दान-दया के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता को प्रमोट करने का एक महत्वपूर्ण दिन है।
  4. चंद्रमा के महत्व का प्रतीक: शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन चंद्रमा बहुत प्राचीन काल से चांद्रमा के पूजन के रूप में भी माना जाता है, और चंद्रमा के दर्शन करने का क्रम किया जाता है।
  5. ऋतु बदलाव का सूचक: शरद पूर्णिमा के आस-पास के समय भारत में मौसम में बदलाव होता है और शरद ऋतु की शुरुआत होती है। यह ऋतुओं के परिवर्तन का सूचक होता है और किसानों के लिए फसलों की बुआई के लिए महत्वपूर्ण समय होता है।

Sharad Purnima Lakshmi Puja

शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजा करने का तरीका:

सामग्री:

  1. श्रीफली (कुछ तुलसी पत्तियाँ)
  2. चावल का आटा (रावा)
  3. दूध (या मालाई)
  4. गुड़ या चीनी
  5. घी
  6. इलायची
  7. ज़र्दालू
  8. बादाम (चिलका हटाकर)
  9. आपका पसंदीदा फल

पूजा की विधि:

  1. पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान चुनें और उसे सजाने के लिए साफ सफाई करें।
  2. पूजा स्थल पर लक्ष्मी माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  3. लक्ष्मी माता की मूर्ति को गंध और अक्षत चढ़ाएं।
  4. आपके पसंदीदा फल को धूप दीपक के साथ पूजा स्थल पर रखें।
  5. अब एक कटोरी में दूध डालें और उसमें चीनी, गुड़, इलायची और बादाम डालें।
  6. उसके बाद, एक कढ़ाई में घी गरम करें और उसमें चावल का आटा (रावा) डालें। चावल को सुनहरे ब्राउन करें।
  7. अब चावल को दूध के साथ मिलाकर बनाएं।
  8. इस बने हुए प्रसाद को लक्ष्मी माता को अर्पण करें।
  9. फिर व्रती और उनके परिवार के सभी लोग प्रसाद को खाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।
  10. इसके बाद, आपका व्रत पूरा हो जाता है।

लक्ष्मी पूजा के बाद, लोग शरद पूर्णिमा की रात को चांद के चमकने के दृश्य का आनंद लेते हैं और खिचड़ी और कद्दू की सब्जी का सेवन करते हैं। यह एक पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है और धार्मिकता के साथ आत्मा की शुद्धि का भी अवसर प्रदान करता है।


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