Ram ne Ravan ko Kyu Mara Tha History in Hindi 2023

राम ने रावण को मारने का इतिहास भारतीय महाकाव्य रामायण में वर्णित है। रामायण भगवान राम की जीवन कहानी पर आधारित है और इसमें राम और रावण के बीच का युद्ध भी दिखाया गया है।

रामायण के अनुसार, रावण लंका के राजा थे और उन्होंने अपनी अत्याचारी और अधर्मिक आचरण के कारण ब्रह्मा, शिव, और अन्य देवताओं के प्रति अपमानित किया। उन्होंने भगवान विष्णु की प्रतिक्रिया के भाग से आधारित बोला था कि कोई मानव उनको मार नहीं सकता, क्योंकि वे अमर हैं।

इसके बाद, भगवान विष्णु के अवतार रूप में भगवान राम का जन्म हुआ और वे मानव रूप में पृथ्वी पर आए। भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता का अपहरण रावण द्वारा किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप वे रावण के खिलाफ युद्ध के लिए निकले।

रामायण में राम और रावण के बीच हुए युद्ध का विवरण दिया गया है, जिसके अंत में भगवान राम ने अपने दिव्य धनुष से रावण को मार दिया। इसके बाद, राम ने अपनी पत्नी सीता को मुक्त किया और धर्म की विजय की।

इस इतिहास का संदेश है कि धर्म के पालन करने और अधर्म के खिलाफ खड़ा होने का महत्व है और भगवान धर्म की रक्षा करने के लिए अवतार लेते हैं। इस प्रकार, भगवान राम ने रावण को मारकर धर्म की जीत की और सत्य के प्रति अपने प्रतिबद्ध रहे।

Ram ne Ravan ko Kyu Mara kahani 2023

ज्यादातर लोगों को यह पता होगा कि सिर्फ सीता माता के अपहरण के कारण ही राम के हाथों रावण की मृत्यु हुई थी। लेकिन कहानी का उद्देश्य इसके पीछे कुछ और है, आइए जानते हैं

यह वह समय की बात है जब भगवान शिव से वरदान लेकर और शक्तिशाली खड्ग पाने के बाद रावण और भी अधिक अहंकार से भर गया था। वह भ्रमण करता हुआ हिमालय के जंगलों में जा पहुंचा। वहां उसने एक खूबसूरत कन्या को तपस्या में लीन देखा। कन्या के खूबसूरत रंग रूप के आगे रावण का राक्षसी रूप जाग उठा और उसने उस कन्या की तपस्या भंग करते हुए उसका परिचय जानना चाहाता ।

कामवासना से भरे रावण के अचंभित करने वाले प्रश्नों को सुनकर उस कन्या ने अपना परिचय देते हुए रावण से कहा कि हे राक्षस राज रावण मेरा नाम वेदवती है। मैं रे पिता परम तेजस्वी महर्षि कुशध्वज हैं मैं उन की पुत्री हूं। मेरे वयस्क होने पर देवता, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, नाग सभी मुझसे विवाह करना चाहते थे, लेकिन मेरे पिता की इच्छा थी कि मैं समस्त देवताओं के स्वामी श्री विष्णु ही मैं विवाह कारू । मेरे पिता की उस इच्छा से क्रुद्ध होकर शंभु नामक दैत्य ने सोते समय मेरे पिता की हत्या कर दी,और मेरी माता ने भी पिता के वियोग में उनकी जलती चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। इसी वजह से यहां मैं अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए इस तपस्या को कर रही हूं।

यह कहने के बाद वेदवती ने रावण को यह भी कह दिया कि मैं अपने तप के बल पर आपकी गलत नियत को जान गई हूं। इतना सुनते ही रावण क्रोध से लाल हो गया और अपने दोनों हाथों से उस कन्या के बाल पकड़कर उसे अपनी ओर खींचने लगा। इससे क्रोधित होकर अपने अपमान की पीड़ा की वजह से वेदवती ने दशानन को यह श्राप देते हुए अग्नि में समा गई कि मैं तुम्हारे वध के लिए फिर से किसी धर्मात्मा पुरुष की पुत्री के रूप में जन्म लूंगी।

महान ग्रंथों में शामिल दुर्लभ ‘रावण संहिता’ में उल्लेख मिलता है कि दूसरे जन्म में वही कन्या एक सुंदर कमल से उत्पन्न हुई और जिसकी संपूर्ण काया कमल के समान थी। इस जन्म में भी रावण ने फिर से उस कन्या को अपने बल के दम पर प्राप्त करना चाहा और उस कन्या को लेकर वह अपने महल में जा पहुंचा। जहां ज्योतिषियों ने उस कन्या को देखकर रावण को यह कहा कि यदि यह कन्या इस महल में रही तो अवश्य ही आपकी मौत का कारण बनेगी। यह सुनकर रावण ने उसे समुद्र में फेंकवा दिया। तब वह कन्या पृथ्वी पर पहुंचकर राजा जनक के हल जोते जाने पर उनकी पुत्री बनकर फिर से प्रकट हुई। शास्त्रों के अनुसार कन्या का यही रूप सीता बनकर रामायण में रावण के वध का कारण बनी।


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