Karwa Chauth Kab Hai 2023 Mein जानिये क्यो मनाई जाती है

करवा चौथ (Karwa Chauth) एक पारंपरिक हिन्दू त्योहार है जो पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने और पति की लम्बी आयु और सुख-शांति की कामना के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नवमी तिथि को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जब चंद्रमा की दिशा में चाँद प्रकट होता है। इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है और उनकी रक्षा के लिए व्रत रखती हैं।

करवा चौथ के दिन की मुख्य परंपरा यह होती है:

  1. सर्वसुहागिनी पूजा (सुहागिनी पूजा): सुबह से ही सुहागिनी (विवाहित महिला) व्रत का आचरण करती हैं। वे स्नान करती हैं और व्रत की शुरुआत के लिए तैयार होती हैं।
  2. करवा चौथ काथा: दोपहर के समय, सुहागिनियाँ और वृद्धा महिलाएँ एक साथ आकर करवा चौथ काथा सुनती हैं, जिसमें करवा चौथ व्रत की कथा का वर्णन होता है।
  3. पूजा और अर्घ्य: सुहागिनी व्रत की पूजा करती हैं और चाँद को देखकर पति की मुर्ति के सामने अर्घ्य देती हैं।
  4. व्रत का तोड़ना: जब चंद्रमा दिखाई देता है, तो पति के सामने पत्नी अपना व्रत तोड़ती हैं। पति उसे पानी पीलाते हैं और फिर पत्नी को खाना खिलाते हैं, जिससे व्रत का तोड़ना पूरा होता है।
  5. पति-पत्नी का मिलन: करवा चौथ के दिन पति-पत्नी का खास समय होता है, जब वे एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और अपने आप को व्यक्तिगत रूप से व्यक्त करते हैं।

Karwa Chauth Kab Hai

इस वर्ष करवा चौथ (Karwa Chauth) 1 नवंबर 2023 के दिन मनाई जायेगी।

Karwa Chauth Katha

करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Katha) एक प्रमुख भारतीय पर्व है और इसका महत्व अपने व्रत की पूजा के दौरान कथा के सुनने में होता है। यह कथा करवा चौथ के दिन सुनी जाती है और इसका पालन करते समय महिलाएँ इस कथा को सुनकर अपने व्रत को खोलती हैं। निम्नलिखित है करवा चौथ की कथा:

करवा चौथ की कथा:

कहानी का प्रमुख पात्र एक सुन्दर और साहसी राजकुमारी और उसका युवा और वीर राजकुमार है। राजकुमारी की सहेलियाँ उसके विवाह के लिए एक समय मंगल कार्यक्रम में जुट गईं। उन्होंने अपनी सहेलियों के साथ बात करते हुए जाना कि करवा चौथ के दिन व्रती स्त्रियाँ उपवास करके अपने पतियों की लंबी आयु की कामना करती हैं और विशेष प्रार्थना करती हैं। व्रती स्त्रियाँ इसे सुनकर उत्साहित हो गईं और यह व्रत बिना किसी संकोच के बिना किए विचार किया जाता है।

राजकुमारी ने भी इस व्रत को बिना किसी संकोच के अपनाया और करवा चौथ के दिन सुबह से ही व्रत रखा। वह सुबह से ही सोने के बाद उपवास करने लगी और अपने पति के लिए तैयार हो गई।

दिन बितता जा रहा था और रात के आने के साथ राजकुमारी अपने सखियों के साथ करवा चौथ की पूजा के लिए तैयार हुई। वे एक बड़ी समृद्धि की महिला के घर गईं जिसका नाम वीरावत था।

पूजा के समय, वीरावत की पत्नी ने एक बड़े ही सुंदर और विशेष अर्घ्य का उपयोग किया, जिसमें सुगंधित मिश्रित दूध, मिठाई, फल, और दाने-दाने का अर्घ्य शामिल था। वीरावत की पत्नी ने इस अर्घ्य को चंद्रमा की ओर प्रेषित किया और फिर अपने पति के पास जाकर व्रत को तोड़ा।

वीरावत ने अपनी पत्नी के प्रति आभार और स्नेह दिखाया और उसका दीदार करके उसकी आयु को लंबा किया।

करवा चौथ की कथा से सिखने वाला सन्देश है कि पतिव्रता पत्नी की शक्ति और प्रेम का महत्व होता है, और इस पर्व के माध्यम से महिलाएँ अपने पति के लिए प्रार्थना करती हैं और उनके लिए लंबी आयु की कामना करती हैं।

Karwa Chauth Mahatva

करवा चौथ (Karwa Chauth) एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो पति-पत्नी के बीच प्यार और समर्पण का प्रतीक है। इसे भारत और भारतीय समुदायों के बाहर बसे भारतीयों द्वारा विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसका महत्व निम्नलिखित तत्वों पर आधारित है:

  1. पति-पत्नी के बीच बंधन का मजबूतीकरण: करवा चौथ एक महिला के लिए उसके पति के साथ दिल से जुड़े रहने का प्रतीक है। इस दिन पत्नी अपने पति के लिए उपवास रखती है और पति की लंबी आयु और सुख-शांति की कामना करती है।
  2. समर्पण और स्नेह का प्रतीक: इस पर्व में महिलाएँ अपने पति के लिए पूजा और प्रार्थना करती हैं और उनके साथ अपना प्यार और समर्पण दिखाती हैं।
  3. पारंपरिक मूल्यों की महत्वपूर्ण धारा: करवा चौथ हिन्दू पारंपरिक मूल्यों और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे समर्थन और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।
  4. सामाजिक महत्व: इस पर्व को अपने समुदाय के सदस्यों के बीच एक आत्मिक संबंध बनाने का मौका माना जाता है और समुदाय की सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  5. सौभाग्य और आशीर्वाद: महिलाएँ इस दिन पति की लंबी आयु की कामना करती हैं और उनके लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करती हैं।

करवा चौथ के दिन की कथा और परंपराएं इसे एक महत्वपूर्ण और रस्मिक पर्व बनाती हैं, जिसमें पति-पत्नी के बीच प्यार और समर्पण का महत्वपूर्ण संदेश होता है।

Karwa Chauth Quotes

  1. “करवा चौथ का व्रत है, प्यार का नाता है। जीवन के सभी मोमेंट्स को सजाता है, दिल के सुखों का संग्रह करता है।”
  2. “पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत है, प्यार और आशीर्वाद का प्रतीक है।”
  3. “करवा चौथ के दिन, दिल से किया गया व्रत हर पत्नी के लिए एक खास तौहीन होता है, जो प्यार और समर्पण की एक उदाहरण होता है।”
  4. “प्यार का नाम है करवा चौथ, जो पति-पत्नी के बीच एक गहरा रिश्ता बनाता है।”
  5. “करवा चौथ का पर्व है, जिसमें पतियों के लिए पत्नियाँ अपने प्यार का प्रमाण देती हैं।”
  6. “करवा चौथ के इस पावन मौके पर, पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है, और प्यार का संग्रह होता है।”
  7. “करवा चौथ के दिन, पत्नियाँ अपने पतियों के लिए प्रार्थना करती हैं, और प्यार की गहरी भावनाओं का प्रतीक बनती हैं।”
  8. “करवा चौथ के दिन, प्यार की शक्ति और समर्पण का महत्व होता है, और इस पर्व से हम अपने प्यार को साबित करते हैं।”
  9. “करवा चौथ के दिन, पत्नियों की आवश्यकता और समर्पण का प्रमुखता होता है, जो प्यार का सबसे ऊंचा रूप होता है।”
  10. “करवा चौथ का व्रत हमारे प्यार के रिश्ते को मजबूत करता है और हमारे दिलों में स्नेह और समर्पण भर देता है।”

ये कोट्स करवा चौथ के महत्वपूर्ण संदेशों को व्यक्त करते हैं और इस पर्व के महत्व को उजागर करते हैं।

Karwa Chauth Puja Vidhi

करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi) हिंदू धर्म में अपने पति की लंबी आयु और सुख-शांति की कामना करने के लिए महिलाओं द्वारा मनाई जाती है। इस पूजा का आयोजन कथा कथाओं के साथ किया जाता है। निम्नलिखित है करवा चौथ पूजा की विधि:

सामग्री:

  1. करवा चौथ की कथा और पूजा किताब
  2. करवा (मुद या लोहे की थाली)
  3. चौथ व्रत की कथा की पुस्तक
  4. पूजा के सामान (रोली, चावल, आका, दीपक, गीता, वर्ती, सिन्दूर, कुमकुम, मिश्रित मिठाई, फल, नीम और जयफल)
  5. करवाचौथ की व्रत कथा की पुस्तक
  6. पूजा के वस्त्र (साड़ी या सूट)
  7. एक चौथ व्रत करने वाली महिला का परिधान
  8. पानी की कलश (लोटा)
  9. चांद को देखने के लिए उपकरण
  10. तर्पण (गंगा जल या पवित्र जल)
  11. पूजा के लिए बैठने की चटाई या आसन

पूजा विधि:

  1. व्रती का उपवास: सुबह उठकर, व्रती को उपवास करना शुरू करना होता है। व्रती को सूबह का सागर्भजन खिलाना चाहिए।
  2. पूजा की तैयारी: दोपहर के समय, पूजा की तैयारी करनी चाहिए। पूजा स्थल को सजाना शुरू करें।
  3. करवा चौथ कथा की पठन: पूजा की शुरुआत करवा चौथ की कथा पठ कर करें।
  4. करवा चौथ के करण पूजन: करवा चौथ का करण पूजन करें। इसके लिए करवा को स्नान करके सजाकर, उसमें पानी और बत्ती डालकर आराती करें।
  5. चंद्रमा दर्शन: सूख और पूजा के सामान के साथ चंद्रमा को देखकर पूजा करें।
  6. पति का दर्शन: पति को दर्शन करके पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  7. व्रत का खोलना: जब रात को चंद्रमा दिखाई देता है, तो पति के साथ बैठकर व्रत को खोलें। पति के हाथ से पानी पीकर व्रत को तोड़ें।
  8. पति का आशीर्वाद: पति की लंबी आयु और खुशी की कामना करें।
  9. फल खाना: अपने पति के साथ फल खाकर व्रत को पूरा करें।
  10. मिश्रित मिठाई और प्रसाद: मिश्रित मिठाई खाकर पूजा को समाप्त करें और अपने पति को प्रसाद दें।

करवा चौथ पूजा विधि का पालन करते समय श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, और अपने पति के लिए खुशियों और सुख-शांति की कामना करें।


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