एकादशी, हिन्दू पंचांग में एक प्रमुख तिथि है एक एकादशी तिथि शुक्ल पक्ष में आती है और दूसरी कृष्ण पक्ष में आती है, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी का अर्थ होता है ‘ग्यारह’ (11) और यह तिथि तिथियों की संख्या के आधार पर नामकरण होता है क्योंकि यह हर मास की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को आती है।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा, अर्चना, व्रत, और भजन किया जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसे उनके जीवन में शुभारंभ के रूप में माना जाता है।
एकादशी के दिन व्रत रखने वाले लोग एक दिन के लिए अन्न, दाल, और धनिया जैसे खाद्य पदार्थों का त्याग करते हैं और सिर्फ फल, फलों का रस, दूध, दही, गन्ने का रस, और नौ अनाज का अपवाद कर सकते हैं। व्रत के दिन विष्णु भगवान की कथाएँ सुनने और उनका भजन करने का आदर्श होता है।
एकादशी का पालन करने से लोग मान्यता हैं कि वे अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, एकादशी का पालन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह अधिक वसा और कैलोरी की खपत को कम कर सकता है और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकता है।
एकादशी के दिन विशेष तीर्थस्थलों पर स्नान और दान का भी महत्व होता है। इस तिथि को पालन करने से व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि होती है और वह भगवान के आसपास और करीब होता है।
एकादशी का पालन भारत में विभिन्न रूपों में किया जाता है और व्रत की विशेषता भिन्न-भिन्न प्रांतों में हो सकती है।
Ekadashi in October
अक्टूबर महीने में दो एकादशी है पहली इंदिरा एकादशी 10 अक्टूबर 2023, मंगलवार और दूसरी पापांकुशा एकादशी 25 अक्टूबर 2023, बुधवार को है
Ekadashi in November
नवंबर महीने में दो एकादशी है पहली रमा एकादशी 9 नवंबर 2023, गुरुवार और दूसरी देवउठन एकादशी 25 नवंबर 2023, गुरुवार को है
Ekadashi in October
दिसंबर महीने में दो एकादशी है पहली उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर 2023, शुक्रवारऔर दूसरी मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर 2023, शुक्रवार को है
Ekadashi Mhatava
एकादशी का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक माना जाता है और इसे विष्णु भगवान के पूजा और भक्ति का विशेष दिन माना जाता है। यह तिथि कई प्रमुख कारणों से महत्वपूर्ण है:
- आत्मा की शुद्धि: एकादशी का व्रत रखकर भक्तों का माना जाता है कि वे अपने मन, वचन, और क्रियाओं को शुद्ध रखते हैं और अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं।
- पाप का प्रायश्चित (Atonement for Sins): एकादशी का पालन करने से लोग मान्यता हैं कि वे अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति (Spiritual Advancement): एकादशी का पालन आत्मा के आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मददगार होता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक अवबोधन की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।
- भगवान विष्णु की पूजा (Worship of Lord Vishnu): एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और भजन किया जाता है। भगवान विष्णु के आदर्शों और महत्व को स्मरण करने का यह अच्छा अवसर होता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health): एकादशी के दिन व्रत करने से शारीरिक स्वास्थ्य को भी फायदा हो सकता है क्योंकि यह खरबूजा, तरबूज, केला, और अन्य फलों का सेवन करने की अनुमति देता है जो शारीरिक लाभ प्रदान करते हैं।
- सामाजिक एकता (Social Unity): एकादशी के दिन लोग सामाजिक रूप से एकता और सामंजस्य की ओर अग्रसर होते हैं और साथ में व्रत करते हैं, जिससे समाज में एकता की भावना मजबूत होती है।
Ekadashi Ka Upvas Kyon Rakhte Hain
आध्यात्मिक उन्नति: एकादशी का उपवास आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा, भक्त अपने मन को शुद्ध करते हैं और भगवान के प्रति अपने भक्ति और समर्पण को और भी मजबूत बनाते हैं।
पाप का प्रायश्चित (Atonement for Sins): एकादशी का उपवास करने से लोग मान्यता हैं कि वे अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और अपने जीवन को शुभ बनाते हैं।
भगवान विष्णु की पूजा (Worship of Lord Vishnu): एकादशी का उपवास विष्णु भगवान की पूजा और भजन करने का अच्छा अवसर होता है। भगवान विष्णु के आदर्शों और महत्व को स्मरण करने का यह दिन होता है।
आत्मा की शुद्धि: एकादशी के उपवास से लोग अपने मन, वचन, और क्रियाओं को शुद्ध रखते हैं और अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं।
सामाजिक एकता (Social Unity): एकादशी के दिन लोग सामाजिक रूप से एकता और सामंजस्य की ओर अग्रसर होते हैं और साथ में व्रत करते हैं, जिससे समाज में एकता की भावना मजबूत होती है।
Ekadashi Vrat Katha
एकादशी व्रत की कथा विभिन्न प्रकार की होती है, लेकिन यहां एक एकादशी कथा का उल्लिखन है:
पार्वती पुत्र और विश्वकर्मा के शिष्य की कथा:
कहा जाता है कि बहुत पुराने समय में, पार्वती माता ने अपने पुत्र, कार्तिकेय के साथ एक विशेष कथा का वर्णन किया।
पार्वती माता ने कहा, “एक बार विश्वकर्मा जी के एक शिष्य ने अपने गुरु के साथ यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में वे सभी नौ धान्यों का सेवन करने की योजना बनाई, लेकिन यज्ञ के दिन ही उनका मन खाने की ओर बढ़ गया। वे नौ धान्यों का सेवन करने की बजाय अन्न का सेवन करने लगे।”
इससे विश्वकर्मा जी के यज्ञ का महत्व और पुरातात्विक महत्व कम हो गया। इसके बाद, उन्होंने अपने गुरु से पूछा कि यह कैसे हो गया।
विश्वकर्मा जी ने अपने शिष्य को बताया कि उन्होंने यज्ञ के दिन अन्न का सेवन किया जिससे उनका यज्ञ असफल हो गया। वे अन्न की जगह नौ धान्यों का सेवन करने की व्रत कथा की ध्यान से पालन करने का सुझाव दिया।
इसके बाद, विश्वकर्मा जी के शिष्य ने एकादशी व्रत का पालन किया और उनके यज्ञ का महत्व फिर से स्थापित हुआ। इस कथा से एकादशी व्रत का महत्व और प्राचीनता दिखाया जाता है, और यह व्रत भक्तों के लिए आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में महत्वपूर्ण माना जाता है।
Ekadashi Kahani
गरुड़ पुराण के अनुसार:
कहा जाता है कि एक समय परंपरागत रूप से काशी में एक नामविधि ब्राह्मण थे, जिनका नाम कृष्णद्वादशी था। वह ब्राह्मण व्रती और ध्यानी थे और भगवान विष्णु की भक्ति में लगे रहते थे।
एक दिन, कृष्णद्वादशी ने ध्यान में गहराई से डूबे रहते हुए एकादशी के दिन का पालन नहीं किया और बीते तीन दिनों में अन्न खा लिया। इससे वह अपने आत्मा को बहुत दुखी महसूस करने लगे।
उन्होंने अपनी भूल को सुधारने के लिए गंगा नदी में जाकर स्नान किया और फिर भगवान विष्णु की पूजा की। वे भगवान विष्णु से अपनी भूल के लिए क्षमा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हुए रात भर विगतिकाल में व्रत का पालन किया।
इसके परिणामस्वरूप, कृष्णद्वादशी को एकादशी व्रत के रूप में जाना जाने लगा और इसे विशेष रूप से विष्णु भक्ति और आत्मा की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस तरह, एकादशी व्रत का महत्व और प्राचीनता को दर्शाती हुई यह कथा भक्तों के बीच में प्रसिद्ध है। एकादशी के दिन के व्रत का पालन भक्ति और साधना का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और यह व्रत भगवान के प्रति अपनी भक्ति को मजबूत करने में मदद करता है।