Durga Navami Kab Hai 2023 October Mein जानिए

दुर्गा नवमी, हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि के नौवें दिन का महत्वपूर्ण पर्व होता है, जिसे माँ दुर्गा की पूजा और आराधना के साथ मनाया जाता है। नौवें दिन, माँ दुर्गा को सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “सिद्धियों की दात्री” यह पर्व चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि दोनों में मनाया जा सकता है, लेकिन शरद नवरात्रि के दौरान इसका महत्व अधिक होता है।

दुर्गा नवमी के दिन, भक्त अपने घरों में माँ दुर्गा की मूर्ति की पूजा करते हैं। इसे विशेष रूप से ‘कन्या पूजा’ कहा जाता है, जिसमें नौ कन्याएं (युवा लड़कियां) भगवान दुर्गा की रूप में पूजा जाती हैं और उन्हें विशेष प्रसाद और धन्यवाद दिया जाता है।

दुर्गा नवमी के दिन भक्त दुर्गा सप्तशती जैसे पाठ और मंत्रों का पाठ करते हैं और माँ दुर्गा का व्रत रखते हैं। इस दिन के अवसर पर, भक्त आरती गाते हैं और माँ दुर्गा की मूर्ति का आराधना करते हैं, जिसमें सुन्दर कपड़े पहनाए जाते हैं और महलक्ष्मी, सरस्वती, और महाकाली के रूप में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।

दुर्गा नवमी के दिन विशेष भोजन भी बनाया जाता है, जिसमें पूरी, हलवा, चना, पूरी, और कद्दू की सब्जी शामिल हो सकती है। इस दिन के आयोजनों में परिवार के सभी सदस्य भाग लेते हैं और माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं।

दुर्गा नवमी एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है और इसे भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मौका माना जाता है। यह पर्व भगवान दुर्गा की आराधना और माँ के शक्ति और साहस की प्रतीक है।

Durga Navami Kab Hai

इस साल दुर्गा नवमी 23 अक्टूबर 2023 को मनाई जायेगी।

Durga Navami Mahatva

  1. माँ दुर्गा की पूजा: दुर्गा नवमी का महत्व माँ दुर्गा की पूजा और आराधना के संदर्भ में है। इस दिन भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ माँ दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं।
  2. कन्या पूजा: दुर्गा नवमी के दिन, नौ कन्याएं (युवा लड़कियां) भगवान दुर्गा की रूप में पूजा जाती हैं। इसे “कन्या पूजा” कहा जाता है, और इसमें इन कन्याओं को विशेष प्रसाद और आशीर्वाद दिए जाते हैं। यह पूजा माँ दुर्गा की शक्ति का प्रतीक होती है और कन्याओं के सम्मान का संकेत है।
  3. धार्मिक आयोजन: इस दिन भक्त दुर्गा सप्तशती जैसे पाठ और मंत्रों का पाठ करते हैं और माँ दुर्गा के व्रत रखते हैं। विशेष रूप से, महिषासुर मर्दिनी कवच का पाठ और माँ दुर्गा के नामों का जाप किया जाता है।
  4. महत्वपूर्ण आहार: दुर्गा नवमी के दिन विशेष भोजन बनाया जाता है, जिसमें पूरी, हलवा, चना, पूरी, और कद्दू की सब्जी शामिल होती है। इस भोजन को माँ दुर्गा के आशीर्वाद के रूप में माना जाता है और यह उपवासी भोजन के रूप में सेवा किया जाता है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: दुर्गा नवमी का महत्व भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के दृष्टिकोण से भी है। इस दिन के आयोजनों में भक्त अपने आत्मा के शुद्धि और साधना का महत्व मानते हैं और माँ दुर्गा से शक्ति और साहस की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।

दुर्गा नवमी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो माँ दुर्गा की महत्वपूर्ण पूजा का समय होता है और भक्तों को उनके धर्मिक और आध्यात्मिक दायरे में एकत्र लाता है।

Durga Navami Kyon Manaya Jata Hai

दुर्गा नवमी का मनाया जाने वाला मुख्य कारण माँ दुर्गा की पूजा और आराधना के रूप में है, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है। यह पर्व नवरात्रि के आठवें दिन को पूरा करता है और माँ दुर्गा की मूर्ति की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

माँ दुर्गा के पूजा और आराधना के दौरान नवरात्रि के नौ दिनों में उनकी शक्तियों की महत्वपूर्ण रूप से पूजा की जाती है, और इसके दौरान माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है, जिन्हें देवी के नौ अवतारों में प्रकट किया जाता है।

दुर्गा नवमी के दिन, भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ माँ दुर्गा की पूजा करते हैं, जिसमें माँ दुर्गा की मूर्ति का पूजन किया जाता है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना की जाती है।

इसके अलावा, दुर्गा नवमी का महत्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है, क्योंकि यह एक ऐसा समय होता है जब परिवार और समुदाय के लोग मिलकर माँ दुर्गा की पूजा करते हैं और साथ में आशीर्वाद और खुशियों का आनंद उठाते हैं।

सार्वजनिक रूप से, दुर्गा नवमी का मनाना एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो माँ दुर्गा की शक्ति, साहस, और पराक्रम की प्रतीक है और भक्तों को उनके धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है।

Navratri Mata Ji Ke 9 Roop

माँ दुर्गा के नौ रूप (नौ अवतार) हिन्दू धर्म में बड़े महत्वपूर्ण हैं और उन्हें नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान पूजा जाता है। ये नौ रूप हैं:

  1. शैलपुत्री: पहले दिन के रूप में माँ दुर्गा को शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ है “हिमालय की पुत्री”।
  2. ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन माँ दुर्गा को ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “तपस्या करने वाली”।
  3. चंद्रघंटा: तीसरे दिन के रूप में माँ दुर्गा को चंद्रघंटा के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “चाँद की तरह चमकने वाली”।
  4. कूष्माण्डा: चौथे दिन के रूप में माँ दुर्गा को कूष्माण्डा के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “ब्रह्माण्ड के अंधकार को नष्ट करने वाली”।
  5. स्कंदमाता: पांचवें दिन के रूप में माँ दुर्गा को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “कार्तिकेय की माँ”।
  6. कात्यायनी: छठे दिन के रूप में माँ दुर्गा को कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “कात्यायन ऋषि की पुत्री”।
  7. कालरात्रि: सातवें दिन के रूप में माँ दुर्गा को कालरात्रि के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “काल की रात”।
  8. महागौरी: आठवें दिन के रूप में माँ दुर्गा को महागौरी के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “महाकाली की रूप में दुर्गा”।
  9. सिद्धिदात्री: नौवें दिन, जिसे दुर्गा नवमी के रूप में मनाया जाता है, माँ दुर्गा को सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ होता है “सिद्धियों की दात्री”।

ये नौ रूप माँ दुर्गा की विभिन्न शक्तियों का प्रतीक होते हैं और नवरात्रि के दौरान उनकी पूजा की जाती है ताकि भक्त उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकें।


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