Durga Ashtami Kab Hai 2023 Mein और जानिए महत्व |

माँ दुर्गा अष्टमी, जिसे दुर्गाष्टमी (Durga Ashtami) भी कहते हैं, नवरात्रि के आठवें दिन के रूप में मनाया जाता है और यह माँ दुर्गा की पूजा और आराधना का महत्वपूर्ण दिन होता है। यह हिन्दू धर्म में बड़े ही धूमधाम और उत्सव के साथ मनाया जाता है।

  1. तिथि: दुर्गाष्टमी नवरात्रि के आठवें दिन मनाई जाती है, जिसे आश्वयुज मास के शुक्ल पक्ष की आष्टमी तिथि के रूप में मनाया जाता है।
  2. माँ दुर्गा की पूजा: इस दिन, माँ दुर्गा के रूपों में से एक, जैसे कि महागौरी, का पूजन किया जाता है। यह पूजा विशेष ध्यान और भक्ति के साथ की जाती है और भक्त उन्हें विशेष प्रकार से सजाकर आराधना करते हैं।
  3. कन्या पूजन: इस दिन, कन्याएं (युवा लड़कियाँ) माँ दुर्गा की रूप में पूजा के लिए आमंत्रित की जाती हैं। उनके पांव धोकर, चुन्नी-चूना और खाने के लिए प्रसाद के रूप में बहुतेरे चीजें दी जाती हैं। यह प्रसाद पूरी, आलू की सब्जी, हलवा, और चने की दाल से मिलकर बना होता है।
  4. पूजा और आराधना: दुर्गाष्टमी के दिन धार्मिक स्थलों पर माँ दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है, जिसमें विशेष पूजा अभिषेक, आरती, और भजन-कीर्तन शामिल होते हैं।
  5. व्रत: कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा के बाद ही अन्न का प्रसाद खाते हैं। व्रत के दौरान उन्हें तांत्रिक पूजा और मंत्र जाप करने की भी प्राथमिकता होती है।
  6. सांस्कृतिक आयोजन: इस दिन कई सांस्कृतिक आयोजन भी मनाए जाते हैं, जैसे कि रामलीला, मेला, और विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनी।

Durga Ashtami Kab Hai

इस साल दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर 2023 को मनाई जायेगी।

Durga Ashtami Katha

दुर्गा अष्टमी कथा, माँ दुर्गा के जन्म के बारे में है और यह कथा नवरात्रि के दौरान पढ़ी जाती है। निम्नलिखित है दुर्गा अष्टमी कथा:

कथा:

बहुत पुराने समय की बात है, एक शक्तिशाली राजा महिषासुर नामक असुर धरती पर अत्याचार और अन्याय कर रहा था। वह अपनी शक्ति और ब्रह्मा की वरदान से अजेय बन गया था और उसकी अहंकारी वाणी के कारण वह देवताओं और मानवों के लिए एक बड़ा कठिनाई से बचाव करने का कार्य कर रहा था।

देवताओं और मानवों ने देवी पार्वती की उपासना करते हुए उनकी कृपा पाई और उन्होंने उन्हें एक शक्तिशाली और दिव्य रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद दिया। इस रूप में, वह दुर्गा माँ के रूप में प्रस्तुत हुईं।

दुर्गा माँ के आगमन के समय, उन्होंने देवताओं के साथ एक विशेष सजाकर और सौंदर्य के साथ दिव्य रूप में प्रकट होकर अपने शूल, छाल, बाण, खडग, घंटा, और तांडव नृत्य के साथ महिषासुर के खिलाफ युद्ध किया। युद्ध के बाद, माँ दुर्गा ने महिषासुर पर विजय प्राप्त करके उसे मार डाला और धरती को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई।

इसलिए, दुर्गा अष्टमी का उपासना और पूजन हिन्दू समुदाय में माँ दुर्गा की महत्वपूर्ण विजय के अवसर के रूप में किया जाता है और यह उनके शक्ति, साहस, और धैर्य की महिमा का प्रतीक है। यह कथा धर्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और दुर्गाष्टमी के उत्सव को सांस्कृतिक रूप से आयोजित किया जाता है।

Durga Ashtami Mahatva

दुर्गाष्टमी का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और यह माँ दुर्गा के पूजन और आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव का हिस्सा है। निम्नलिखित है दुर्गाष्टमी के महत्व के कुछ प्रमुख कारण:

  1. माँ दुर्गा के आगमन का स्वागत: दुर्गाष्टमी का महत्व है क्योंकि इसे माँ दुर्गा के आगमन का स्वागत करने के रूप में माना जाता है। यह दिन माँ दुर्गा के पूजन और आराधना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
  2. नवरात्रि का हिस्सा: दुर्गाष्टमी नवरात्रि के आठवें दिन का हिस्सा होता है, जिसमें माँ दुर्गा की नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके माध्यम से माँ दुर्गा की शक्ति और महत्व का मनाया जाता है।
  3. धर्मिक और आध्यात्मिक महत्व: दुर्गाष्टमी का उत्सव धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस दिन भक्त अपने आदरणीय देवी माँ के प्रति अपनी भक्ति और आराधना को महत्वपूर्ण बनाते हैं।
  4. समाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व: दुर्गाष्टमी का उत्सव समाज में एकता, सामाजिक मेलजोल और सांस्कृतिक आयोजनों के रूप में मनाया जाता है। यह समाज को एक साथ आने और उत्सव के माध्यम से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।
  5. आधिकारिक छुट्टी: दुर्गाष्टमी को अक्सर विभिन्न भागों में भारत में आधिकारिक छुट्टी के रूप में मनाया जाता है, जिससे लोग इस उत्सव का आनंद ले सकते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकते हैं।

Durga Ashtami Puja Vidhi

माँ दुर्गा की अष्टमी पूजा को ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक करने के लिए कुछ विशेष विधियाँ होती हैं। यहां दुर्गाष्टमी पूजा की एक सामान्य विधि दी जा रही है:

सामग्री:

  1. माँ दुर्गा की मूर्ति या छवि
  2. पूजा स्थल को सजाने के लिए कपड़े और आसन
  3. आपकी प्राथमिक देवता की मूर्ति या छवि (यदि हो)
  4. पूजा के लिए फूल, दीपक, अगरबत्ती, कलश, नारियल, सिंदूर, सुपारी, पान, नरियल पान, और बादाम की पाकी
  5. आरती की थाली, कुमकुम, चावल, घी, दूध, योगर्त, और मिश्री

पूजा की विधि:

  1. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा के लिए एक शुद्ध स्थल चुनें और उसे सजाने के लिए कपड़े और आसन रखें। माँ दुर्गा की मूर्ति या छवि को पूजा स्थल पर रखें।
  2. कलश स्थापना: एक कलश लें और उसमें पानी डालें। कलश को नारियल, सिंदूर, और सुपारी से सजाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  3. देवता की पूजा: पूजा की शुरुआत करने से पहले अपनी प्राथमिक देवता की पूजा करें। इसके बाद, माँ दुर्गा की मूर्ति या छवि की पूजा करें।
  4. अष्टमी व्रत उपवास: व्रती लोग दिनभर बिना अनाज, प्याज, और लहसुन के खाने पीने के नियमों का पालन करते हैं।
  5. पूजा आरंभ: पूजा का आरंभ कुमकुम और चावल से करें। माँ दुर्गा की मूर्ति को फूलों, दीपक, और अगरबत्ती से सजाकर पूजें।
  6. मंत्र पाठ: माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और उन्हें अपनी भक्ति और आराधना के साथ पढ़ें।
  7. कलश पूजा: कलश का पूजन करें, और उसे पूजा स्थल पर रखें।
  8. नौ बटे कन्या पूजन: नौ कन्याओं की पूजा करें, जिन्हें योग्य साधुओं से चुनकर बुलाया जाता है। उन्हें स्नान कराकर नए कपड़े पहनाएं और पूजा के अनुसार खिलाएं।
  9. आरती: पूजा के अंत में माँ दुर्गा की आरती करें और उन्हें प्रसाद के रूप में बादाम की पाकी, दूध, और मिश्री से खिलाएं।
  10. व्रत खोलना: व्रत का आयोजन सुरक्षित रूप से करें और उसे माँ दुर्गा के आशीर्वाद के साथ खोलें।

इस विधि का पालन करके आप माँ दुर्गा की आराधना को नम्रता, भक्ति, और श्रद्धा के साथ कर सकते हैं और उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

Leave a Comment