नरक चतुर्दशी, जिस का नाम “छोटी दीवाली” भी है, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य दुर्भाग्य को दूर करना है और सुख-शांति का प्राप्ति करना है।
नरक चतुर्दशी के त्योहार के कुछ मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं:
- तिथि और महत्व: नरक चतुर्दशी का आयोजन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाकर और उन्हें दीपों से रौशनी देकर खुशियाँ मनाते हैं।
- अभिषेक: सुबह जल स्नान करने के बाद, लोग अपने घरों में लक्ष्मी और देवताओं की पूजा करते हैं। कुछ लोग विशेष अभिषेक करते हैं, जिसमें तिल का तेल, योगी, और उबटन का उपयोग होता है।
- दीपावली के तोहफे: नरक चतुर्दशी को लोग अक्सर अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को तोहफे देकर मनाते हैं।
- धूमधाम से दीपावली: नरक चतुर्दशी के दिन, बड़े पैमाने पर पटाखों का उद्घाटन किया जाता है। यह एक बड़े आकर्षण का हिस्सा होता है और बच्चों और युवाओं के बीच में खासी लोकप्रिय होता है।
- कथा: इस दिन कई कथाएँ भी सुनाई जाती हैं, जिनमें भगवान कृष्ण और देवता यमराज के बीच के युद्ध की कथा शामिल होती है। यह त्योहार उन्हीं के युद्ध की जीत के अवसर पर मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी का उत्सव विभिन्न रूपों में विशेष तारीकों पर भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य हमेशा सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Naraka Chaturdashi 2023 Mein Kab Hai | Chhoti Diwali Kab Hai 2023 Mein
इस साल नरक चतुर्दशी रविवार, 11 नवंबर 2023 को मनाई जायेगी।
Narak Chaturdashi Puja Muhurat Time 2023
नरक चतुर्दशी पूजा समय शाम को 5:30 से 7:0 बजे तक रहेगा
Naraka Chaturdashi कथा
नरक चतुर्दशी कथा, भगवान कृष्ण और देवता यमराज के बीच के युद्ध की कथा पर आधारित है। इस कथा के अनुसार, नरकासुर नामक राक्षस बहुत ही बलशाली था और वह स्वर्गलोक को भी परेशान कर रहा था। वह देवताओं के साथ युद्ध करके उन्हें पराजित कर देने के बाद स्वर्गलोक को अपने नियंत्रण में कर लिया। इससे देवताएँ बहुत परेशान हो गईं और वे भगवान विष्णु की शरण में गईं।
भगवान विष्णु ने देवताओं के साथ मिलकर नरकासुर का वध करने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी दिव्य शक्ति का उपयोग करके भगवान कृष्ण को जन्म दिया।
नरक चतुर्दशी के दिन, भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति के साथ नरकासुर के पास जाकर उसके साथ युद्ध किया। इस युद्ध में, भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मार दिया और स्वर्गलोक को मुक्त कर दिया। नरक चतुर्दशी के इस पावन दिन पर, देवताएँ खुश होकर भगवान कृष्ण की पूजा करने लगीं और उनकी महिमा को गाने लगीं।
इस प्रकार, नरक चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसे भगवान कृष्ण के युद्ध की कथा के माध्यम से मनाया जाता है और इस दिन लोग सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
Narak Chaturdashi Mahatva in Hindi
नरक चतुर्दशी का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक माना जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। नरक चतुर्दशी के महत्व को निम्नलिखित कारणों से समझा जा सकता है:
- भगवान कृष्ण की विजय: नरक चतुर्दशी का महत्व भगवान कृष्ण के युद्ध की विजय को याद करने के रूप में है। इस दिन, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मारकर स्वर्गलोक को मुक्त किया और धर्म की विजय का प्रतीक बने।
- दुर्भाग्य और बुराई के प्रति प्रतिषोध: नरक चतुर्दशी का महत्व यह भी है कि यह त्योहार दुर्भाग्य, अधर्म, और बुराई के प्रति प्रतिषोध का संकेत है। लोग इस दिन अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करने का प्रयास करते हैं और बुराई को दूर करने की कोशिश करते हैं।
- पूजा और आराधना: इस दिन लोग भगवान कृष्ण, यमराज, और देवताओं की पूजा और आराधना करते हैं। इससे उन्हें सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- पापों का नाश: नरक चतुर्दशी को पूरे उत्तर भारत में चोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पापों का नाश करने का प्रयास करते हैं और नए शुरुआतों की ओर कदम बढ़ाते हैं।
- परिवार और समुदाय का महत्व: इस त्योहार को परिवार और समुदाय के साथ मनाने का महत्व भी होता है। लोग इस दिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियाँ मनाते हैं।
Narak Chaturdashi Puja Vidhi
नरक चतुर्दशी की पूजा विधि कुछ आसान कदमों में किया जा सकता है, निम्नलिखित है:
सामग्री:
- दीये (मिट्टी के या ग्लास के)
- तिल का तेल (ससामग्री)
- अरंडी के तेल (ससामग्री)
- यमराज की मूर्ति या छवि
- गौ मुत्र या पानी
- देवता और देवी मूर्तियाँ (वैकल्पिक)
- पूजा थाली
- रोली, चावल, दूध, फूल, और धूप (पूजा सामग्री)
- आधे किलो का गुड़
- सिखल की छड़ी (वैकल्पिक)
पूजा विधि:
- सुबह को तिल का तेल में या अरंडी के तेल में नहाकर नरक चतुर्दशी की पूजा की तैयारी करें।
- पूजा स्थल को सफाई से सजाकर तैयार करें।
- दीयों को तिल के तेल में भिगोकर सजाएं और पूजा स्थल पर रखें।
- यमराज की मूर्ति या छवि को पूजा स्थल पर रखें। आप यमराज को नारियल और फूलों से सजा सकते हैं।
- गौ मुत्र या पानी का टिका लगाएं और पूजा स्थल पर अपने आँचल में रखें।
- अब देवता और देवी मूर्तियाँ वैकल्पिक रूप से सजा सकते हैं।
- पूजा थाली पर रोली, चावल, दूध, फूल, और धूप की दीपक रखें।
- पूजा की शुरुआत करने से पहले सम्पूर्ण परिवार को एक साथ जमा करें और एक मन्त्र के साथ यमराज की पूजा करें। आप विष्णु सहस्त्रनाम या यमराज के मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं।
- गुड़ को पूजा करने के बाद बांधकर यमराज की मूर्ति के आगे रखें।
- पूजा के बाद, प्रसाद बांटें और अपने परिवार के साथ नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाएं।
यहीं तक, यह आपकी नरक चतुर्दशी की पूजा की आसान विधि है, जिसे आप अपने आवश्यकताओं और परंपराओं के आधार पर अनुकूलित कर सकते हैं। पूजा के दौरान भक्ति और श्रद्धा से करें और नरक चतुर्दशी के महत्व को समझकर इसे मनाएं।